
भारत भूमि पर जब भी प्रतिभा और परिश्रम का संगम होता है, तब कोई न कोई ऐसा सितारा उभरता है जो न सिर्फ अपने गांव या जिले का, बल्कि पूरे देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोशन कर देता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक नाम है – अर्पित शुक्ला, जिन्हें साहित्यिक दुनिया में “अर्पित सर्वेश” के नाम से जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के प्रीतम तिवारीपुर गांव के निवासी अर्पित शुक्ला ने मात्र 21 वर्ष की उम्र में वो कर दिखाया है, जो बहुतों के लिए एक सपना मात्र रह जाता है। अर्पित अब तक 25 पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं, जिनमें से दो पुस्तकों में उन्होंने संकलनकर्ता के रूप में भूमिका निभाई है। उनकी लेखनी की गहराई और भावनाओं की गूंज को पहचानते हुए 150 से अधिक कविताएं भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
✨ तीन विश्व रिकॉर्डों के स्वर्णिम धारी
15 विदेशी भाषाओं में एक ही दिन पुस्तक प्रकाशित करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति बनकर अर्पित ने इतिहास रच दिया है।
दूसरा विश्व रिकॉर्ड उन्हें उनकी अनोखी और गहन भावनात्मक कविता के लिए प्राप्त हुआ।
तीसरा विश्व रिकॉर्ड उन्हें कुर्दिश भाषा में पुस्तक प्रकाशित करने के लिए मिला, ऐसा करने वाले वे विश्व के पहले भारतीय हैं।
🏆 सम्मान और गौरव
इन उपलब्धियों के लिए उन्हें “इंटरनेशनल आइकन अवॉर्ड 2024” से भी सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके उत्कृष्ट योगदान और साहित्य के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
👨👩👦👦 परिवार का सशक्त आधार
अर्पित अपनी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय अपने पिता डॉ. संतोष शुक्ला, माता श्रीमती अनीता शुक्ला और दादा श्री जगदम्बा प्रसाद शुक्ला को देते हैं। उनका कहना है कि “आज जो कुछ भी मैं हूं, वो मेरे परिवार के विश्वास, मार्गदर्शन और अटूट साथ का ही परिणाम है।”
🇮🇳 भारत का गौरव
अर्पित ने न केवल अपने गांव प्रीतम तिवारीपुर और जिला प्रतापगढ़ का नाम रोशन किया है, बल्कि अपने कार्यों और रचनात्मकता से भारत देश को भी विश्व पटल पर एक विशेष पहचान दिलाई है। ऐसे प्रतिभाशाली और समर्पित युवा पर पूरे देश को गर्व है।
🙏 शुभकामनाएं
हम सभी यह प्रार्थना करते हैं कि अर्पित सर्वेश आगे भी ऐसे ही भारतवर्ष का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते रहें और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनें।